Thursday, 19 February 2009
संस्कृति की ये कैसी हिफाजत?
कर्नाटक के मंगलोर क्षेत्र में पब में लड़कियों के साथ हुई बदसलूकी के बाद नेताओं में 'पब संस्कृति' को लेकर बहस छिड़ गई है। भाजपा शासित कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने साफ कहा कि वह राज्य में 'पब संस्कृति' को नहीं पनपने देंगे। देश में उन्मुक्त जीवन शैली के प्रसार के कारण समाज में अपनी अहमियत पाए लोगों के दबाव में सकुचाए कर्नाटक के भाजपाई मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी अब राय में पब संस्कृति के नहीं बढ़ने देने का बयान दे दिया है। मंगलोर के एक पब में 24 जनवरी को शराब पीकर नाच-गा रही लड़कियों की श्रीराम सेना के कार्यकताओं द्वारा पिटाई के बाद जिस प्रकार चारों ओर से एक वर्ग ने शोर मचाना शुरू किया उससे मूल मुद्दा ही ओझल हो गया। महिलाओं के साथ दर्ुव्यवहार का मुद्दा अब पब संस्कृति और भारतीय संस्कृति का रूप ले चुका है। कांग्रेस शासित दो राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस बहस में कूद पड़े हैं। येदियुरप्पा ने कहा, हम कर्नाटक में पब संस्कृति को मजबूत होता नहीं देख सकते। लेकिन कानून हाथ में लेने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। येदियुरप्पा ने श्रीराम सेना पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर कोई सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस बारे में पुलिस और मंत्रिमंडल के सदस्यों से चर्चा की जाएगी। श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं द्वारा लडक़ियाें को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया था और उनके साथ दर्ुव्यवहार किया गया था। येदियुरप्पा का बयान ऐसे समय आया है जब श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुत्तालिक ने भाजपा को याद दिलाया है कि राज्य में उसकी सरकार हिन्दुत्व के एजेंडे पर ही बनी है। मुत्तालिक ने सरकार से यह भी कहा था कि राजनीतिक फायदे की खातिर हिन्दूवादी संगठनों को परेशान न किया जाए। मुत्तालिक को पब पर हुए हमले के मामले में आरोपी बनाया गया है। बहरहाल, 'पब संस्कृति' पर बहस में दो और राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हो गए हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इसके खिलाफ राय दी है। गहलोत ने यह भी कहा कि वह मॉल में लड़के-लड़कियों को हाथ में हाथ डाले खुले आम घूमने-फिरने की संस्कृति बंद कराना चाहते हैं। भाजपा ने गहलोत के इस बयान को रूढ़िवादी बताया है। उधर, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इतर राय दी है कि पब में जाने वाले बालिग युवा व युवतियां इतने परिपक्व है कि वे अपना निर्णय ले सकें। उन्होंने कहा कि अगर लड़के-लड़कियां साथ-साथ बाहर जाती हैं, तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय महिला आयोग स्थिति का जायजा लेने के लिए एक टीम कर्नाटक भेज रहा है। आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास ने कहा है कि आयोग ने तीन सदस्यों की एक टीम बनाई है जो कर्नाटक जाएगी और हमला का शिकार हुए लोगों से मिलने के साथ-साथ स्थिति का आकलन भी करेगी।यहां गौर करने वाली बात यह है कि मार-पिटाई या विरोध के हिंसक तरीके की आलोचना और पब से जुड़ी अपसंस्कृति दोनों अलग-अलग बातें हैं। पश्चिम से आयातित यह जीवन शैली भारत के आम समाज को स्वीकार्य नहीं हो सकती। ऐसे में इसकी आलोचना की बजाय इस पर सकारात्मक नजरिए से विचार किया जाना चाहिए। इसमें किसी की निजी स्वतंत्रता बाधित करने या निजी जीवन में हस्तक्षेप का प्रश्न नहीं है। वैसे युवक-युवतियों के प्रेम प्रदर्शन एवं पब की अपसंस्कृति के बीच बिल्कुल अन्योन्याश्रिय संबंध नहीं है। पब संस्कृति और महिलाओं पर अपने विचार थोपने का अनुचित तरीका ये दोनों अगल-अलग बातें है। गौरतलब है कि मंगलोर की घटना की चारों तरफ निंदा हुई है। केंद्र सरकार की एक मंत्री ने इस घटना को 'भारत का तालिबानीकरण' तक करार दिया। राज्य सरकार इस मामले में हुई अब तक की कार्रवाई को लेकर भी निशाने पर है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)के दबाव के आगे झुकने का आरोप लगाया जा रहा है। हालांकि उन्होंने इन आरोपों को गलत बताया है और यह भी कहा है कि श्रीराम सेना का भाजपा से कोई संबंध नहीं है। ऐसे में देखना यह होगा कि राज्य सरकार आरोपियों के खिलाफ किस प्रकार की कार्रवाई करती है।और राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर उठ रहे विवादों का किस प्रकार निपटारा करती है। हालांकि राज्य सरकार दबाव में ही सही लेकिन आरोपियों को गिरफ्तार करने का काम तो कर ही दिया है। अब देखना है कि इन आरोपियाें पर कानून का डंडा कितना चलता है।
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